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सरस्वती वंदना




सरस्वती वंदना


दोहा-गीता पुस्तक कर गहे, देत कर्म उपदेश।

      माँ सरस्वती शारदा, रहत ज्ञान के देश।।


चौपाई-


गीतामृत रस माँ बरसाती।सब के मन को दिव्य बनाती।।

तात्विक सात्विक तार्किक सत्या।नीति नियंता नियमित नित्या।।

पांडव संस्कृति नित रचती हो।त्यागमयी विद्या लगती हो।।

डेरा सुंदरता का तुम हो।अति नैतिक मानवता तुम हो।।

यहाँ वहाँ सब जगह तुम्हीं हो।हर कण व्यापिनि सर्व तुम्हीं हो।।

जीवन को खुशियों से भर माँ।हंसवाहिनी! दो शुभ घर माँ।।


दोहा-कर्मयोग का ज्ञान दे,कर जग का उद्धार।

      वीणापाणी माँ सदा, करो यही उपकार।।






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2 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:57 PM

👍👍🌺

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Mahendra Bhatt

25-Jan-2023 08:32 AM

Nice

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